मैं………हूँ!
मैं साँस लेता पहाड़, धड़कती पत्थर की इमारत
बचपन समेटे हज़ारों का, एक प्यारी सी शरारत
मैं लड़कपन, मैं यौवन, मैं ज़िंदगी का मोड़
मैं सुबह की मंद चाल, मैं एक मील की दौड़!
मैं गणित के पैंतरे, अँग्रेज़ी की ज़ुबान
इतिहास की अठखेलियाँ, अर्थशास्त्र का ज्ञान
मैं हिन्दी की मात्रा, मैं ही भूगोल
विज्ञान की प्रयोगशाला, मैं चरित्र का डील डौल!
मैं लाल, मैं नीला, मैं हरा, मैं पीला
मैं घुंघरेले बाल, मैं हठी, मैं छबीला
मैं सांवला, मैं गोरा, मैं प्यारा
मैं ही ज़िम्मेदार, मैं ही आवारा!
मैं धुन्ध, मैं ठंड, मैं चमकती धूप
मैं बिच्छू, मैं ही बूटी, मैं अनोखा रूप
मैं बारिश की वो बूँदें, मैं झरने का पानी
मैं लंगूर की छलाँग, मैं वो रातें तूफ़ानी!
मैं स्थिर, मैं गंभीर, मैं भूचाल
मैं माथे की लकीरें, रगों की ऐठन, लहू का उबाल
मैं मुस्कुराहट, मैं हँसी, मैं पीठ की वो थपकियाँ
मैं नाराज़गी, मैं लड़कपन, मैं वो खिलती यारियाँ!
तू ही मैं और मैं ही तू हूँ
मैं Oak Grove School हूँ!
-सुदीप बाजपेई
This content has been reproduced from a post created by Sudip Bajpai (1996 Batch) on November 18, 2016.